कुरान के किन सूरहों में सजदा है: विस्तृत सूची और व्याख्या

[najibul_share_earnings]
✅ विशेषज्ञ द्वारा स्वीकृत
5/5 - (1 vote)

कुरान मजीद में कुछ आयतें हैं जिनमें सजदा करने का निर्देश दिया गया है। सजदे की आयतें मुसलमानों के लिए विशेष महत्व रखती हैं और उन्हें पढ़ने के बाद सजदा करना सुन्नत है। इस लेख में हम जानेंगे कि किन सूरहों में सजदा है, इसका महत्व और इसकी उपासना विधि।

सज्दा वाली सूरहों की सूची (14 या 15 स्थान):

कुरआन में कुल 14 या 15 सज्दा आयतें मानी जाती हैं (कुछ विद्वानों के अनुसार अंतर होता है)। नीचे उन सूरहों की सूची दी जा रही है:

क्रमसूरह का नामआयत नंबरसज्दा की स्थिति
1सूरह अल-अराफ़ (7)आयत 206सज्दा तिलावत
2सूरह अर-रअद (13)आयत 15सज्दा तिलावत
3सूरह अन्नहल (16)आयत 26सज्दा तिलावत
4सूरह बनी इसराईल (17)आयत 109सज्दा तिलावत
5सूरह मरयम (19)आयत 58सज्दा तिलावत
6सूरह हज (22)आयत 18सज्दा तिलावत
7सूरह हज (22)आयत 77कुछ विद्वानों के अनुसार
8सूरह फरकान (25)आयत 60सज्दा तिलावत
9सूरह नम्ल (27)आयत 26सज्दा तिलावत
10सूरह अस-सज्दा (32)आयत 15सज्दा तिलावत
11सूरह साद (38)आयत 24सज्दा — इमाम शाफ़ई के अनुसार फर्ज़ नहीं
12सूरह फुस्सिलात (41)आयत 38सज्दा तिलावत
13सूरह अन-नज्म (53)आयत 62सज्दा तिलावत
14सूरह इंशिक़ाक़ (84)आयत 21सज्दा तिलावत
15सूरह अल-अलक़ (96)आयत 19सज्दा तिलावत

सजदे की आयतों को पहचानने का तरीका

कुरान मजीद में सजदे की आयतों के पास आमतौर पर “سجدة” या “सिजदा” चिह्नित होता है। ये निशान पाठकों को इंगित करते हैं कि यहाँ सजदा करना है।

सजदे का महत्व और प्रथा

सजदे की आयत पढ़ने के बाद सजदा करना सुन्नत है। सजदे के माध्यम से अल्लाह के प्रति श्रद्धा और विनम्रता प्रदर्शित की जाती है और यह मुसलमान के ईमान का हिस्सा है। सजदा करने का नियम यह है कि चेहरे को ज़मीन पर रखकर अल्लाह से विनम्र प्रार्थना की जाए।

सजदे की आयतों को पढ़ने का नियम

सजदे की आयतों को तिलावत करते समय या सुनने पर तुरंत सजदा करना उत्तम है। हालाँकि, देर होने पर भी बाद में सजदा किया जा सकता है।

कुरान शरीफ के किन-किन पारों में सजदा है?

कुरान के विभिन्न पारों में सजदे की आयतें हैं। इन पारों में शामिल हैं:

  • 7वां पारा (सूरह अल-अ’राफ)
  • 13वां पारा (सूरह अर-रा’द)
  • 14वां पारा (सूरह अन-नहल)
  • 15वां पारा (सूरह अल-इसरा)
  • 19वां पारा (सूरह मरियम)
  • 21वां पारा (सूरह अल-हज्ज)
  • 25वां पारा (सूरह अल-फुरकान)
  • 27वां पारा (सूरह अन-नम्ल, सूरह अस-सजदा)
  • 30वां पारा (सूरह अल-इनशिक़ाक़, सूरह अल-अलक़)

किन-किन पारों में सजदा है?

कुरान में कुल 30 पारे हैं, जिनमें से विभिन्न पारों में सजदे की आयतें पाई जाती हैं। जैसे:

  • 15वां पारा – सूरह अन-नहल
  • 17वां पारा – सूरह अल-इसरा
  • 19वां पारा – सूरह मरियम

निष्कर्ष:

कुरआन में दी गई सज्दा आयतें एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं जिनसे पता चलता है कि अल्लाह का हुक्म कितना गंभीर और सम्मानजनक है। हमें चाहिए कि जब भी हम इन आयतों को पढ़ें या सुनें, सज्दा करके अल्लाह की आज्ञा का पालन करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

कुरआन में कुल कितनी सज्दा आयतें हैं?

कुरआन में कुल 14 या 15 सज्दा आयतें मानी जाती हैं। कुछ विद्वानों के अनुसार सूरह हज की दो सज्दा आयतों के कारण यह संख्या 15 भी होती है।

सज्दा तिलावत कब किया जाता है?

जब कोई मुसलमान कुरआन की ऐसी आयत पढ़े या सुने जिसमें सज्दा का हुक्म हो, तब वह सज्दा तिलावत करता है।

सज्दा तिलावत करने के लिए वुजू जरूरी है?

जी हां, सज्दा तिलावत करने के लिए वुजू (अज़ू) होना जरूरी है क्योंकि यह एक प्रकार की इबादत है।

क्या सज्दा तिलावत छोड़ने से गुनाह होता है?

यदि जानबूझकर सज्दा तिलावत छोड़ दिया जाए, तो यह आदब के खिलाफ है और कुछ विद्वानों के अनुसार यह गुनाह भी हो सकता है। बेहतर यह है कि इसे तुरंत अदा किया जाए।

सज्दा तिलावत का सही तरीका क्या है?

सज्दा तिलावत करते समय सीधा सज्दे में जाकर “سُبْحَانَ رَبِّيَ الأَعْلَىٰ” पढ़ा जाता है। नीयत दिल में होनी चाहिए। तस्लीम (सलाम) जरूरी नहीं।

कौन-कौन सी सूरह में सज्दा है?

सज्दा तिलावत वाली सूरहों में शामिल हैं: अल-अराफ़, अर-रअद, अन्नहल, बनी इसराईल, मरयम, हज, फरकान, नम्ल, अस-सज्दा, साद, फुस्सिलात, अन-नज्म, इंशिक़ाक़ और अल-अलक़। पूरी सूची और आयत नंबर ऊपर लेख में दी गई है।

Farhat Khan

Farhat Khan

इस्लामी विचारक, शोधकर्ता

मेरे सभी लेख

Leave a Comment