इस विशाल ब्रह्मांड के पीछे की सबसे बड़ी शक्ति और रहस्य क्या है? हर इंसान के मन में उठने वाला यह प्रश्न ही हमारे जीवन का सबसे गहरा और मूलभूत सत्य है। इस्लाम में अल्लाह कौन हैं, यह जानना केवल धार्मिक शिक्षा नहीं, बल्कि ईमान (आस्था) का पहला और सबसे महत्वपूर्ण आधार है।
पवित्र कुरआन हमें अल्लाह की सटीक परिभाषा और पहचान प्रदान करता है। यह लेख उस एकत्ववाद (तौहीद) को समझाता है, जो हमारे संपूर्ण जीवन और इबादत का केंद्र है। अल्लाह कौन हैं, इस विषय की गहराई को समझते हुए हम अपने इस्लामिक जीवन और आस्था को मजबूत कर सकते हैं।
संक्षिप्त उत्तर: अल्लाह कौन हैं
कुरआन के अनुसार, अल्लाह कौन हैं? वह एक (अहद) हैं, अनंत, हमेशा से हैं और हमेशा रहेंगे। उनका कोई साथी या हिस्सेदार नहीं है (ला-शरीक)। वह सभी लोकों के सृजनकर्ता, पालनहार और नियंत्रक हैं। वह न तो किसी पर निर्भर हैं, न ही उनका कोई रूप या आकार है, लेकिन हर चीज़ उन्हीं पर निर्भर है। उनकी पहचान उनके सुंदर नामों और गुणों (अस्मा-उल-हुस्ना) में निहित है।
विस्तृत व्याख्या
तौहीद — अल्लाह की एकत्वता
इस्लाम की बुनियाद तौहीद (अल्लाह की एकत्वता) पर टिकी है। तौहीद का अर्थ है कि अल्लाह अपनी सत्ता, अपने गुणों और अपनी इबादत में एक और अकेला है, और उसका कोई भी साझीदार नहीं है। अल्लाह कौन हैं, इसका सबसे स्पष्ट और शक्तिशाली जवाब कुरआन की सूरह इखलास में दिया गया है, जिसे तौहीद का केंद्र माना जाता है:
“कह दो, वह अल्लाह एक है। अल्लाह निरपेक्ष है, सब उसके मोहताज हैं। न उसने किसी को जना, न वह जना गया। और न कोई उसके बराबर का है।” (सूरा अल-इखलास 112:1–4)
ये आयतें अल्लाह की अद्वितीयता को स्थापित करती हैं और शिर्क (अल्लाह के साथ किसी और को साझी ठहराना) की सभी संभावनाओं को सिरे से खारिज करती हैं। तौहीद का यह इकरार हर मुसलमान के जीवन का आरंभ और अंत है। अल्लाह का हुक्म, सृजन और उपासना केवल उसी के लिए विशेष है। तौहीद का वास्तविक अर्थ समझने पर ही ईमान पूर्ण होता है।
अल्लाह सृष्टिकर्ता और पालनहार
अल्लाह कौन हैं, यह जानने में उनका सृष्टिकर्ता (ख़ालिक़) और पालनहार (रब) होना शामिल है। इस दुनिया में जो कुछ भी मौजूद है—आकाश, पृथ्वी, तारे, मनुष्य और जीव-जंतु—सभी उसी की रचना हैं। अल्लाह (रब्बुल आलमीन) केवल सृजन करके रुक नहीं जाते, बल्कि वह हर चीज़ का निरंतर पालन-पोषण, प्रबंधन और नियंत्रण करते हैं।
कुरआन की सबसे महान आयत, आयतुल कुरसी, इस बात को स्पष्ट करती है:
“अल्लाह! उसके सिवा कोई पूज्य नहीं, वह जीवित है, सब का संभालने वाला है। न उसे ऊँघ आती है, न नींद। जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है, सब उसी का है। कौन है जो उसकी अनुमति के बिना उसके पास सिफ़ारिश कर सके? वह जानता है जो उनके सामने है और जो उनके पीछे है…” (सूरा अल-बकरा 2:255)
वह हर किसी को रोज़ी (रिज़क) देने वाले हैं, जीवन देने वाले हैं और मृत्यु देने वाले हैं। हर चीज़ के होने या न होने का अंतिम निर्णय उन्हीं का होता है। मुसलमान का यह विश्वास उसे केवल अल्लाह पर भरोसा करने की प्रेरणा देता है।
अल्लाह के गुण (अस्मा-उल-हुस्ना)
अल्लाह की पहचान और महानता उनके सुंदर नामों यानी अस्मा-उल-हुस्ना के माध्यम से प्रकट होती है। ये नाम हमें अल्लाह की पूर्ण और उत्कृष्ट विशेषताओं के बारे में बताते हैं। इन नामों को जानना और समझना ईमान का एक अहम हिस्सा है।
हदीस में उल्लेख है कि अल्लाह के निन्यानवे (99) नाम हैं:
“अल्लाह के निन्यानवे नाम हैं, जो उन्हें याद करेगा (और उनके अनुसार कर्म करेगा), वह जन्नत में प्रवेश करेगा।” (सहीह मुस्लिम, किताबुल ज़िक्र वद-दु’आ, हदीस: 2677)
इन नामों में अर-रहमान (परम दयालु), अल-करीम (अत्यंत उदार), अल-ख़ालिक़ (सृष्टिकर्ता), अल-अलीम (सर्वज्ञानी) और अल-हय्यु (सदा जीवित) शामिल हैं। इन गुणों को जानने से मुसलमान अल्लाह से गहरा संबंध स्थापित कर पाता है। इन नामों की व्याख्या से ही अल्लाह की महानता का अंदाज़ा होता है।
अल्लाह दिखाई नहीं देते, लेकिन सब जानते हैं
यह समझना ज़रूरी है कि अल्लाह कौन हैं—वह एक ऐसी सत्ता हैं जिसे हमारी सीमित भौतिक आँखें इस दुनिया में नहीं देख सकतीं। वह हमारे अनुभव से परे हैं, लेकिन वह हर चीज़ को देखते हैं और जानते हैं। कुरआन में कहा गया है:
“निगाहें उसे पा नहीं सकतीं, और वह तमाम निगाहों को पा लेता है। वह बड़ा बारीकबीन (सूक्ष्मदर्शी) और सब की खबर रखने वाला है।” (सूरा अल-अनआम 6:103)
अल्लाह हमारे सबसे गुप्त विचारों, हमारे दिल के इरादों और दुनिया के हर कोने में होने वाली घटनाओं को जानते हैं। यही विश्वास हमें इहसान (यह महसूस करना कि अल्लाह हमें देख रहे हैं) की उच्चतम अवस्था में इबादत करने के लिए प्रेरित करता है। वह हमेशा हमारे साथ हैं, हमारी हर ज़रूरत को सुन रहे हैं।
रोजमर्रा की ज़िंदगी में अल्लाह की पहचान का प्रभाव
अल्लाह कौन हैं—इस गहरी समझ का सीधा असर एक मुस्लिम के रोज़मर्रा के जीवन पर पड़ता है:
- नमाज़ में एकाग्रता: जब व्यक्ति जानता है कि वह उस सर्वशक्तिमान के सामने खड़ा है जो उसे देख रहा है, तो उसकी नमाज़ (सलात) में विनम्रता (खुशू) आती है। वह शारीरिक रूप से ही नहीं, बल्कि दिल से भी अल्लाह की ओर मुड़ता है।
- अखंडता और ईमानदारी: अल्लाह कौन हैं—इस विश्वास के कारण वह किसी भी अनैतिक कार्य या बेईमानी से दूर रहता है, क्योंकि उसे पता होता है कि कोई और न देखे, लेकिन अल-बासीर (सब देखने वाला) अल्लाह उसे देख रहे हैं। यह ज्ञान उसे हर हाल में सत्य पर कायम रहने की शक्ति देता है।
- भरपूर भरोसा (तवक्कुल): जब मुसलमान यह जानता है कि अल्लाह ही एकमात्र रिज़क देने वाले हैं, तो वह अनावश्यक चिंता और लालच से मुक्त होकर केवल अल्लाह पर भरोसा करना सीखता है। यह तवक्कुल उसे मानसिक शांति प्रदान करता है।
सावधानियाँ और भ्रम
अल्लाह कौन हैं, इस विषय में कुछ सामान्य भ्रांतियाँ हैं जिनसे बचना ज़रूरी है:
- मानवीय कल्पना: अल्लाह को किसी मानव, मूर्ति या किसी भी भौतिक रूप में चित्रित करना या उनकी कल्पना करना सख्त मना है। कुरआन कहता है: “कोई भी चीज़ उसके सदृश्य नहीं।” (सूरा अश-शूरा 42:11) अल्लाह का रूप उनकी शान के अनुरूप है, जिसकी कल्पना हम नहीं कर सकते।
- साझीदारी का विचार: अल्लाह के साथ किसी अन्य शक्ति या सत्ता को साझीदार (शरीक) मानना। तौहीद का सिद्धांत इसे पूरी तरह अस्वीकार करता है। यहाँ तक कि पैगंबरों या फ़रिश्तों को भी इबादत में अल्लाह का साझीदार नहीं माना जा सकता।
- अंधविश्वास पर भरोसा: अल्लाह की सत्ता या उनके गुणों के बारे में कुरआन और सहीह हदीस के बाहर की किसी भी मनगढ़ंत कहानी या अंधविश्वास पर भरोसा करना। धार्मिक ज्ञान का आधार केवल विश्वसनीय इस्लामी स्रोत होने चाहिए।
निष्कर्ष
अल्लाह कौन हैं—यह सवाल इस्लाम की पूरी इमारत का आधार है। वह एक (अहद), अद्वितीय हैं और तमाम जहानों के पालनहार हैं। उनके अस्मा-उल-हुस्ना उनकी पूर्णता और महिमा को दर्शाते हैं। यह ज्ञान एक मुसलमान को अल्लाह का डर (तक़वा), इबादत में समर्पण और पूर्ण भरोसा रखने वाले जीवन की ओर ले जाता है। अल्लाह की एकत्वता पर दृढ़ विश्वास ही दुनिया और आख़िरत में सफलता की कुंजी है। इसी पहचान के साथ हमारे जीवन का उद्देश्य पूरा होता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
क्या अल्लाह को देखा जा सकता है?
इस दुनिया में अल्लाह को हमारी सीमित भौतिक आँखों से नहीं देखा जा सकता, जैसा कि कुरआन में कहा गया है। हालांकि, विश्वसनीय इस्लामिक स्रोतों के अनुसार, सच्चे ईमान वाले जन्नत (स्वर्ग) में अल्लाह के दीदार से सम्मानित होंगे।
अल्लाह कहाँ रहते हैं?
कुरआन के अनुसार, अल्लाह अपनी सत्ता के साथ अर्श (सिंहासन) पर हैं, जैसा कि उनकी शान के लायक है। लेकिन उनका ज्ञान, शक्ति, दृष्टि और अधिकार हर जगह मौजूद है।
अल्लाह के कितने नाम हैं?
सहीह हदीस के अनुसार, अल्लाह के निन्यानवे (99) सुंदर नाम (अस्मा-उल-हुस्ना) हैं, जो हमें उनकी विशेषताओं से परिचित कराते हैं। ये नाम उनके गुण हैं।
क्या अल्लाह हर चीज़ जानते हैं?
हाँ, अल्लाह (अल-अलीम) सर्वज्ञानी हैं। जो कुछ हुआ, जो कुछ हो रहा है और जो कुछ भविष्य में होगा—आकाशों और पृथ्वी में कोई भी चीज़ उनके ज्ञान से बाहर नहीं है।
तौहीद क्यों महत्वपूर्ण है?
तौहीद (अल्लाह की एकत्वতা) इस्लाम का मूल आधार है। सभी इबादतें (पूजा-पाठ) तभी स्वीकार्य होती हैं जब वे तौहीद पर आधारित हों। यह हमें शिर्क से बचाता है।
क्या अल्लाह और गॉड एक ही हैं?
इस्लामिक दृष्टिकोण से, हाँ। अल्लाह अरबी भाषा में उस एक और सच्चे ईश्वर को संदर्भित करता है जिसने ब्रह्मांड को बनाया और उसका पालन-पोषण करता है, जो अद्वितीय और निराकार है।
स्रोत और संदर्भ
- अल-कुरआन: सूरा अल-इखलास (112:1–4), सूरा अल-बकरा (2:255), सूरा अल-अनआम (6:103), सूरा अश-शूरा (42:11)।
- सहीह हदीस: सहीह मुस्लिम, किताबुल ज़िक्र वद-दु’आ, हदीस: 2677 (अस्मा-उल-हुस्ना)।
- इस्लामिक सिद्धांत: तौहीद और आस्था के सिद्धांतों पर आधारित व्याख्या।
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