डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी: शिक्षा, राजनीति और अद्वितीय योगदान

✅ विशेषज्ञ द्वारा स्वीकृत
5/5 - (1 vote)

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी में जानें भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएँ। शिक्षा के क्षेत्र में उनके अद्वितीय योगदान, दार्शनिक दृष्टिकोण और राजनीति में उनकी भूमिका की विस्तृत जानकारी। पढ़ें और जानें कैसे उनके विचार और कार्य आज भी प्रेरणादायक हैं।

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, भारत के महान शिक्षाविद और दार्शनिक थे, जिन्होंने शिक्षा और राजनीति के क्षेत्र में अपूर्व योगदान दिया। वे भारत के पहले उपराष्ट्रपति (1952-1962) और दूसरे राष्ट्रपति (1962-1967) रहे। उनका जीवन एक प्रेरणास्त्रोत है, जो ज्ञान, शिक्षा, और मानवता की सेवा में समर्पित था।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

जन्म और पारिवारिक पृष्ठभूमि

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तिरुतनी, तमिलनाडु में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम सर्वपल्ली वेंकटस्वामी और माता का नाम सीता देवी था। उनके परिवार की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं थी, लेकिन उनकी माता ने उन्हें अच्छे संस्कार और शिक्षा देने का पूरा प्रयास किया।

शिक्षा

राधाकृष्णन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से बी.ए. की डिग्री प्राप्त की। वे भारतीय दर्शनशास्त्र के अध्ययन में रुचि रखते थे, और इसी क्षेत्र में उन्होंने अपनी पोस्ट-ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की। उनकी शिक्षा और विद्या के प्रति निष्ठा ने उन्हें एक उत्कृष्ट विद्वान बना दिया।

पेशेवर जीवन

शिक्षा में योगदान:

डॉ. राधाकृष्णन ने अपने करियर की शुरुआत एक शिक्षक के रूप में की और वे मद्रास प्रेसिडेंसी कॉलेज, कलकत्ता विश्वविद्यालय, और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में अध्यापन किया। उनकी शिक्षा और दर्शनशास्त्र में गहरी समझ ने उन्हें एक प्रसिद्ध शिक्षक और विद्वान बना दिया। उन्होंने भारतीय दर्शन को पश्चिमी दुनिया के सामने प्रस्तुत किया और भारतीय संस्कृति को वैश्विक मंच पर मान्यता दिलाई।

लिखाई और लेखन:

डॉ. राधाकृष्णन ने कई महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे, जिनमें ‘इंडियन फिलॉसफी’ (Indian Philosophy) और ‘ए स्टडी ऑफ प्लेटो’ (A Study of Plato) शामिल हैं। उनके लेखन ने भारतीय दर्शन के महत्व को वैश्विक स्तर पर प्रमोट किया। उनके विचार और विश्लेषण ने उन्हें दार्शनिकों की शीर्ष पंक्ति में रखा।

राजनीति और सार्वजनिक जीवन

उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति के पद पर:

डॉ. राधाकृष्णन को 1952 में भारत का उपराष्ट्रपति चुना गया। उनके कार्यकाल में उन्होंने संविधान की रक्षा और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया। 1962 में, वे भारत के राष्ट्रपति बने और इस पद पर भी उन्होंने देश की सेवा की। उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लिए और देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सम्मान और पुरस्कार:

डॉ. राधाकृष्णन को उनके अद्वितीय योगदान के लिए कई सम्मान और पुरस्कार मिले। उन्हें भारत रत्न (1954) से सम्मानित किया गया, जो भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है। उनके द्वारा दिए गए योगदान और शिक्षण ने उन्हें भारतीय समाज में एक अमूल्य स्थान दिलाया।

व्यक्तिगत जीवन और परिवार

डॉ. राधाकृष्णन का विवाह 1904 में सिवाकम्य मुथम्मल से हुआ। उनके दो बेटियाँ और एक बेटा था। उनके परिवार ने हमेशा उनकी शिक्षा और सार्वजनिक जीवन में समर्थन किया।

मृत्यु और विरासत

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का निधन 17 अप्रैल 1975 को हुआ। उनकी मृत्यु के बाद भी उनका जीवन और उनके विचार भारतीय समाज और वैश्विक शिक्षा के लिए एक प्रेरणा बने हुए हैं। उनकी जयंती, 5 सितंबर, को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो उनके शिक्षा के प्रति समर्पण और योगदान को सम्मानित करने का एक तरीका है।

निष्कर्ष

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन शिक्षा, दर्शन, और सार्वजनिक सेवा के प्रति उनके अनमोल योगदान का प्रतीक है। उन्होंने न केवल भारतीय शिक्षा प्रणाली को सुदृढ़ किया, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारतीय दर्शन और संस्कृति का प्रचार भी किया। उनकी उपस्थिति और उनके विचार हमेशा भारतीय समाज और विश्व भर में एक प्रेरणा स्रोत रहेंगे।

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तिरुतनी, तमिलनाडु, भारत में हुआ था।

डॉ. राधाकृष्णन ने अपनी शिक्षा कहाँ से प्राप्त की?

डॉ. राधाकृष्णन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय स्कूल से प्राप्त की और फिर मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से बी.ए. और बाद में पोस्ट-ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की।

डॉ. राधाकृष्णन ने किस पद पर कार्य किया?

डॉ. राधाकृष्णन भारत के पहले उपराष्ट्रपति (1952-1962) और दूसरे राष्ट्रपति (1962-1967) के रूप में कार्य किए। इसके अलावा, उन्होंने कई प्रमुख शिक्षण संस्थानों में अध्यापन किया।

डॉ. राधाकृष्णन को कौन-कौन से सम्मान प्राप्त हुए?

डॉ. राधाकृष्णन को भारत रत्न (1954) सहित कई प्रमुख सम्मान प्राप्त हुए। उनके योगदान को सम्मानित करने के लिए उनकी जयंती 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाई जाती है।

डॉ. राधाकृष्णन का प्रमुख लेखन क्या है?

डॉ. राधाकृष्णन का प्रमुख लेखन ‘इंडियन फिलॉसफी’ और ‘ए स्टडी ऑफ प्लेटो’ जैसे ग्रंथों में शामिल है। उनके लेखन ने भारतीय दर्शन को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया।

डॉ. राधाकृष्णन का निजी जीवन कैसा था?

डॉ. राधाकृष्णन का विवाह 1904 में सिवाकम्य मुथम्मल से हुआ था। उनके दो बेटियाँ और एक बेटा था। उनका परिवार हमेशा उनके शिक्षा और सार्वजनिक जीवन में समर्थन करता रहा।

डॉ. राधाकृष्णन की मृत्यु कब हुई?

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का निधन 17 अप्रैल 1975 को हुआ।

Farhat Khan

Farhat Khan

इस्लामी विचारक, शोधकर्ता

मेरे सभी लेख

Your comment will appear immediately after submission.

Leave a Comment