इमाम बुखारी की जीवनी: इस्लाम के महान हदीस विद्वान का जीवन, योगदान और शिक्षा

✅ Expert-Approved Content
5/5 - (1 vote)

इमाम बुखारी की जीवनी: इमाम बुखारी की विस्तृत जीवनी, उनके प्रारंभिक जीवन, हदीस के प्रति रुचि, शिक्षा और सहीह अल-बुखारी के संकलन पर जानकारी। जानें इस्लाम के महानतम हदीस विद्वान के जीवन का संपूर्ण विवरण।

इमाम बुखारी की जीवनी वीडियो

×

इमाम बुखारी की प्रारंभिक जीवन

इमाम बुखारी का पूरा नाम अबू अब्दुल्लाह मोहम्मद इब्न इस्माईल इब्न इब्राहीम इब्न अल-मुग़ीरा इब्न बर्दिज़बाह अल-जूफ़ी अल-बुखारी था। उनका जन्म 13 शव्वाल 194 हिजरी (810 ईस्वी) को बुखारा (जो कि आधुनिक उज्बेकिस्तान में है) में हुआ था। इमाम बुखारी का परिवार एक प्रतिष्ठित और धार्मिक परिवार था। उनके पिता इस्माईल इब्न इब्राहीम भी एक विद्वान थे, जो हदीस और इस्लामी कानून में माहिर थे। इमाम बुखारी ने प्रारंभिक जीवन में ही अपने पिता को खो दिया था, लेकिन उनकी माता ने उन्हें धार्मिक शिक्षा दी और उनकी परवरिश बहुत ही अच्छे तरीके से की।

Advertisements

इमाम बुखारी की चरित्र और जीवनधारा

इमाम बुखारी का चरित्र अत्यधिक धार्मिक, विनम्र और ज्ञान के प्रति समर्पित था। उन्हें इस्लामी विद्या और विशेषकर हदीस की पढ़ाई में गहरी रुचि थी। उनके जीवन का उद्देश्य सही हदीसों का संग्रह करना और लोगों को सही इस्लामी जानकारी प्रदान करना था। उनका जीवन संयमित और सरल था। उन्होंने हमेशा सत्य और न्याय की बात की, और उनकी विनम्रता और पवित्रता के कारण वे मुस्लिम समाज में अत्यधिक सम्मानित थे।

इमाम बुखारी की शिक्षा और हदीस के प्रति रुचि

इमाम बुखारी को शिक्षा प्राप्त करने का बड़ा शौक था। बचपन से ही उन्होंने कुरआन और हदीस की पढ़ाई शुरू की। 10 साल की उम्र में उन्होंने हदीसों को याद करना शुरू किया और 16 साल की उम्र तक उन्होंने हज़रत उस्मान (रज़ि) द्वारा लिखित कुरआन की एक प्रति के साथ अन्य धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन कर लिया। हदीस के प्रति उनकी गहरी रुचि ने उन्हें महान हदीस विद्वान बनने की दिशा में प्रेरित किया।

इमाम बुखारी की ज्ञान प्राप्ति के लिए यात्रा

इमाम बुखारी ने अपनी शिक्षा को और अधिक समृद्ध करने के लिए विभिन्न देशों की यात्रा की। उन्होंने हदीसों को सही और प्रामाणिक रूप से संग्रह करने के लिए मेक्का, मदीना, मिस्र, बगदाद, और दमिश्क जैसी जगहों की यात्रा की। उन्होंने अपनी यात्राओं के दौरान कई प्रसिद्ध विद्वानों से हदीस की शिक्षा प्राप्त की और हदीसों का संग्रह किया। यह उनकी यात्रा और ज्ञान की प्यास थी जिसने उन्हें इस्लामी जगत के महानतम हदीस विद्वानों में स्थान दिलाया।

इमाम बुखारी का योगदान और उनकी शिक्षा

इमाम बुखारी का सबसे महत्वपूर्ण योगदान “सहीह अल-बुखारी” है, जिसे इस्लाम में सबसे प्रामाणिक हदीस संग्रह माना जाता है। उन्होंने लगभग 600,000 हदीसों को याद किया और उनमें से केवल 7,275 को अपनी पुस्तक में शामिल किया, जिन्हें उन्होंने अत्यधिक सावधानी और प्रमाणिकता के आधार पर चुना। उनकी अन्य प्रमुख कृतियों में ‘अल-तारीख अल-कबीर’ और ‘अल-आदब अल-मुफ़रद’ भी शामिल हैं, जो इस्लामी ज्ञान और इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

सहीह अल-बुखारी: इस्लाम की महान पुस्तक

सहीह अल-बुखारी को इस्लामी इतिहास में हदीस के सबसे प्रामाणिक संग्रहों में से एक माना जाता है। यह पुस्तक इस्लामी कानून, धर्मशास्त्र, और जीवन शैली के लिए एक मार्गदर्शिका के रूप में उपयोग की जाती है। इमाम बुखारी ने इस संग्रह को अत्यधिक परिश्रम, समर्पण और सहीह हदीसों के चयन की प्रणाली के आधार पर तैयार किया।

इमाम बुखारी की मृत्यु

इमाम बुखारी का निधन 1 शव्वाल 256 हिजरी (870 ईस्वी) को खर्तांग नामक गाँव में हुआ, जो समरकंद के पास स्थित है। उनकी मृत्यु से इस्लामी विद्या और हदीस के क्षेत्र में एक बड़ा शून्य पैदा हो गया, लेकिन उनकी शिक्षाएँ और उनके द्वारा संकलित सहीह हदीसें आज भी मुस्लिम दुनिया के लिए मार्गदर्शन का स्रोत बनी हुई हैं।

इमाम बुखारी कौन थे?

इमाम बुखारी इस्लामी इतिहास के महानतम हदीस विद्वानों में से एक थे, जिन्होंने “सहीह अल-बुखारी” नामक हदीस संग्रह को संकलित किया, जो इस्लाम में सबसे प्रामाणिक माना जाता है।

सहीह अल-बुखारी क्या है?

सहीह अल-बुखारी हदीस का एक प्रामाणिक संग्रह है, जिसे इमाम बुखारी ने संकलित किया। इसमें पैगंबर मुहम्मद (सल्ल) के कथनों और कार्यों का संग्रह किया गया है।

इमाम बुखारी की शिक्षा क्या थी?

इमाम बुखारी ने बचपन में ही कुरआन और हदीस की पढ़ाई शुरू की और जीवन भर विभिन्न देशों में यात्रा करके विद्वानों से हदीस का ज्ञान प्राप्त किया।

इमाम बुखारी का सबसे बड़ा योगदान क्या था?

इमाम बुखारी का सबसे बड़ा योगदान सहीह अल-बुखारी का संकलन था, जो इस्लाम में हदीस के सबसे प्रामाणिक संग्रहों में से एक है।

इमाम बुखारी की मृत्यु कब और कहाँ हुई?

इमाम बुखारी की मृत्यु 1 शव्वाल 256 हिजरी (870 ईस्वी) को समरकंद के पास खर्तांग गाँव में हुई।

Advertisements
Farhat Khan

Farhat Khan

इस्लामी विचारक, शोधकर्ता

मेरे सभी लेख

Your comment will appear immediately after submission.

Leave a Comment